स्तोत्रं > श्रीराम स्तुति 2

                           श्री राम स्तुति 

  1. नमामि भक्त-वत्सलं, कृपालु-शील-कोमलम्। 

    भजामि ते पदाम्बुजं, अकामिनां स्व-धामदम्।।1।। 

  2. निकाम-श्याम-सुन्दरं, भवाम्बु-नाथ मन्दरम्। 

    प्रफुल्ल-कंज-लोचनं, मदादि-दोष-मोचनम्।।2।। 

  3. प्रलम्ब-बाहु-विक्रमं, प्रभो·प्रमेय-वैभवम्। 

    निषंग-चाप-सायकं, धरं त्रिलोक-नायकम्।।3।। 

  4. दिनेश-वंश-मण्डनम्, महेश-चाप-खण्डनम्। 

    मुनीन्द्र-सन्त-रंजनम्, सुरारि-वृन्द-भंजनम्।।4।। 

  5. मनोज-वैरि-वन्दितं, अजादि-देव-सेवितम्। 

    विशुद्ध-बोध-विग्रहं, समस्त-दूषणापहम्।।5।। 

  6. नमामि इन्दिरा-पतिं, सुखाकरं सतां गतिम्। 

    भजे स-शक्ति सानुजं, शची-पति-प्रियानुजम्।।6।। 

  7. त्वदंघ्रि-मूलं ये नरा:, भजन्ति हीन-मत्सरा:। 

    पतन्ति नो भवार्णवे, वितर्क-वीचि-संकुले।।7।। 

  8. विविक्त-वासिन: सदा, भजन्ति मुक्तये मुदा। 

    निरस्य इन्द्रियादिकं, प्रयान्ति ते गतिं स्वकम्।।8।। 

  9. तमेकमद्भुतं प्रभुं, निरीहमीश्वरं विभुम्। 

    जगद्-गुरूं च शाश्वतं, तुरीयमेव केवलम्।।9।। 

  10. भजामि भाव-वल्लभं, कु-योगिनां सु-दुलर्भम्। 

    स्वभक्त-कल्प-पादपं, समं सु-सेव्यमन्हवम्।।10।। 

  11. अनूप-रूप-भूपतिं, नतोऽहमुर्विजा-पतिम्। 

    प्रसीद मे नमामि ते, पदाब्ज-भक्तिं देहि मे।।11।। 

  12. पठन्ति से स्तवं इदं, नराऽऽदरेण ते पदम्। 

    व्रजन्ति नात्र संशयं, त्वदीय-भक्ति-संयुता:।।12।।