स्तोत्रं > अत्रि मुनि द्वारा श्रीराम स्तुति

नमामि भक्त वत्सलम् । कृपालु शील कोमलम् ॥

भजामि ते पदांबुजम् । अकामिनाम् स्वधामदम् ॥

निकाम् श्याम् सुंदरम् । भवाम्बुनाथ मंदरम् ॥

प्रफुल्ल कंज लोचनम् । मदादि दोष मोचनम् ॥

प्रलंब बाहु विक्रमम् । प्रभोऽप्रमेय वैभवम् ॥

निषंग चाप सायकम् । धरम् त्रिलोक नायकम् ॥

दिनेश वंश मंदनम् । महेश चाप खंदनम् ॥

मुनींद्र संत रंजनम् । सुरारि वृन्द भंजनम् ॥

मनोज वैरि वंदितम् । अजादि देव सेवितम् ॥

विशुद्ध बोध विग्रहम् । समस्त दूषणापहम् ॥

नमामि इंदिरा पतिम् । सुखाकरम् सताम् गतिम् ॥

भजे सशक्ति सानुजम् । शची पति प्रियानुजम् ॥

त्वदंघ्रि मूल ये नराह । भजंति हीन मत्सराह ॥

पतंति नो भवार्णवे । वितर्क वीचि संकुले ॥

विविक्त वासिनह सदा । भजंति मुक्तये मुदा ॥

निरस्य इंद्रियादिकम् । प्रयांति ते गतिम् स्वकम् ॥

तमेकमद्भुतम् प्रभुम् । निरीहमीश्वरम् विभुम् ॥

जगद्गुरुम् च शाश्वतम् । तुरीयमेव केवलम् ॥

भजामि भाव वल्लभम् । कुयोगिनाम् सुदुर्लभम् ॥

स्वभक्त कल्प पादपम् । समम् सुसेव्यमन्वहम् ॥

अनूप रूप भूपतिम् । नतोऽहमुर्विजा पतिम् ॥

प्रसीद मे नमामि ते । पदाब्ज भक्ति देहि मे ॥

पठंति ये स्तवम् इदम् । नरादरेण ते पदम् ॥

व्रजंति नात्र संशयम् । त्वदीय भक्ति संयुताह ॥